मेरे ख़्वाबों के खिलने से पहले भी तुम,
मेरे ख्यालों के चुकने से आगे भी तुम,
मेरी जागी निग़ाहों में सोए हुए,
मेरी नींदों में चुपके से जागे भी तुम,
हर-इक शै से मेरी दूरियाँ भी तुम्हीं,
मुझको रिश्तों में उलझाए धागे भी तुम |
आँख से झाँकती खामुशी भी तुम्हीं,
होठ पर खेलती शायरी भी तुम्हीं,
अनछुई भावनाओं की मासूमियत,
और शब्दों की जादूगरी भी तुम्हीं,
खलवतों में तुम्हीं, महफ़िलों में तुम्हीं,
तुम ही संजीदगी, मसखरी भी तुम्हीं |
रोज़ बनना, बिगड़ना तुम्हारे लिए,
मेरा जीना या मरना तुम्हारे लिए,
चोटियाँ नाप आना तुम्हें ढूँढते,
घाटियों में उतरना तुम्हारे लिए,
ठहर जाना तुम्हें देखते-देखते,
और हद से गुज़रना तुम्हारे लिए |
अद्भुत रचना! द्विवेदी जी प्रेम से भरी हुई रचना किसको समर्पित है?
ReplyDeleteअद्भुत रचना! द्विवेदी जी प्रेम से भरी हुई रचना किसको समर्पित है?
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