Friday, June 10, 2011

ग़ज़ल

वो यही सोच के बाज़ार में आई होगी |
आबरू बेंच के थोड़ी तो कमाई होगी |
उसने कपड़ों पे' बहुत खर्च किया होगा पर,
ऐसा फैशन है कि तन ढँक नहीं पायी होगी |
ये तो मालूम था सच को न सुना जायेगा,
पर ये अंदाज़ा नहीं था कि पिटाई होगी |
जैसे बन में रँगा सियार बना था राजा,
वैसे नेताओं ने सरकार बनाई होगी ?
कोई बड़ों से ये कह दे कि ज़रा कम बोलें,
इसी में देश के बच्चों की भलाई होगी |
खुशबुएँ ले के हवाएं उधर से आती हैं,
उस कली ने मेरी ग़ज़ल कोई गायी होगी |