Thursday, June 25, 2020

कैद हैं

मकड़ी की तरह अपने ही जालों में कैद हैं;
ये सब दिमाग वाले खयालों में कैद हैं।
टूटे हुए दिए तो अँधेरों के हैं गुलाम,
जलते हुए चिराग उजालों में कैद हैं।
यूँ नाउम्मीद जान है, दिल इस कदर हताश,
जितने जवाब थे वो सवालों में कैद हैं।
चेहरों की चमक में तो है बनने की कहानी,
मिटने के दर्द पाँव के छालों में कैद हैं।
इक तुम हो कि जो वक्त से आगे निकल लिए,
इक हम हैं जो गुजरे हुए सालों में कैद हैं।
जो लोग दूर से बड़े खामोश लग रहे,
वो लोग और बिगड़े बवालों में कैद हैं।
कुछ प्यास की चुभती हुई जंजीर में बँधे,
कुछ हैं, जो छलकते हुए प्यालों में कैद हैं ।
उस बेपनाह रूप के अनमोल खजाने,
सब सरफिरी अदाओं के तालों में कैद हैं।