Wednesday, February 22, 2017

चुनावी भजन

अब सौंप दिया है वोटों का भंडार तुम्हारे हाथों में |
अब जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ||
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हममें तुममें बस भेद यही, हम जनता हैं, तुम नेता हो;
सत्ता के मैराथन में तुम निर्णायक, तुम्हीं विजेता हो |
जैसे-तैसे निर्मित करना सरकार, तुम्हारे हाथों में |
अब जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ||
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तुमसे ज्यादा उम्मीद नहीं, तुम मूड बदलते हो पल में;
बिन पेंदी के लोटे जैसे, कभी इस दल में, कभी उस दल में |
है राजनीति का यह सारा व्यापार तुम्हारे हाथों में |
अब जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ||
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हम स्वेच्छा से मत देते हैं, उस पर भी घात लगाते हो;
इस लोकतंत्र के दंगल में सब अपने दाँव दिखाते हो |
हर साजिश, हर हथकंडा, हर हथियार तुम्हारे हाथों में |
अब जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ||
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वादों की झोली फैलाकर फिर हमको दर्शन देते हैं;
यह भारत का गौरव है, याचक भी आश्वासन देते हैं |
कुछ काम करो, फिर हमने दिए अधिकार तुम्हारे हाथों में |
अब जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ||
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