Tuesday, July 14, 2020

तुम्हीं

मेरे ख़्वाबों के खिलने से पहले भी तुम,
मेरे ख्यालों के चुकने से आगे भी तुम,
मेरी जागी निग़ाहों में सोए हुए,
मेरी नींदों में चुपके से जागे भी तुम,
हर-इक शै से मेरी दूरियाँ भी तुम्हीं,
मुझको रिश्तों में उलझाए धागे भी तुम |

आँख से झाँकती खामुशी भी तुम्हीं,
होठ पर खेलती शायरी भी तुम्हीं,
अनछुई भावनाओं की मासूमियत,
और शब्दों की जादूगरी भी तुम्हीं,
खलवतों  में तुम्हीं, महफ़िलों में तुम्हीं, 
तुम ही संजीदगी, मसखरी भी तुम्हीं |

रोज़ बनना, बिगड़ना तुम्हारे लिए,
मेरा जीना या मरना तुम्हारे लिए,
चोटियाँ नाप आना तुम्हें ढूँढते,
घाटियों में उतरना तुम्हारे लिए,
ठहर जाना तुम्हें देखते-देखते,
और हद से गुज़रना तुम्हारे लिए |



Sunday, July 12, 2020

सहारे

हर साँस में लिपटी हुई यादों के सहारे,
जिंदा हैं किसी से किए वादों के सहारे।
गहराइयों का ज्ञान, न धाराओं की समझ,
हम तैर गए सिर्फ इरादों के सहारे ।
हासिल तो है मुश्किल मगर उम्मीद बहुत है,
रिश्ते निभा रहे हैं तकादों के सहारे।
सूखे में सारी उम्र गुजारा किया है दिल,
दो पल के तेरे सावन-ओ-भादों के सहारे।
घोड़े, वज़ीर, हाथी तो पूरे मज़े में हैं,
और जंग लड़ी जा रही प्यादों के सहारे।
मंदिर की रौनकें हैं चाहतों के नूर से,
है मूर्तियों में जान मुरादों के सहारे।