Friday, August 14, 2015

याद आ रही है फिर लाठियों की मार वह,
देश वासियों के वक्ष, शत्रुओं की गोलियाँ 
भारती की भेंट होता एक-एक शीष और 
शत्रुओं से जूझती जवानों की वे टोलियाँ 
गूँजते हैं आज तक राष्ट्र-वन्दना के स्वर,
बोलती दिशाएं जय-हिन्द की हैं बोलियाँ 
रक्त से लिखा है इतिहास मेरे भारत का 
आज इतिहास से भी हो रही ठिठोलियाँ 


आओ एक साथ मिलकर प्रण करते हैं,

देश के ही नाम ज़िंदगानी लिख देंगे हम,
रक्त को बना के मसि भारती की आरती में 
आज एक-एक क़ुरबानी लिख देंगे हम 
धाय-माँ के त्याग को न व्यर्थ होने देंगे कभी 
फिर से प्रताप की कहानी लिख देंगे हम 
भीगे नयनों को जलती मशाल में बदल 
आसमानी पृष्ठ पे' जवानी लिख देंगे हम 

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