एक-एक दीप की जलन की पुकार यही -
दूसरों के नाम सारा प्यार कर दीजिये
हार जाये अन्धकार, द्वार-द्वार, बार-बार,
रौशनी का इतना प्रसार कर दीजिये
नयनों को नंदन बनाते चले जाइए कि
आज पतझार को बहार कर दीजिये
मन पे' लगे हुए कुरीतियों के बंधनों को
एक झटके में तार-तार कर दीजिये
दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं
आशुतोष द्विवेदी
दूसरों के नाम सारा प्यार कर दीजिये
हार जाये अन्धकार, द्वार-द्वार, बार-बार,
रौशनी का इतना प्रसार कर दीजिये
नयनों को नंदन बनाते चले जाइए कि
आज पतझार को बहार कर दीजिये
मन पे' लगे हुए कुरीतियों के बंधनों को
एक झटके में तार-तार कर दीजिये
दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं
आशुतोष द्विवेदी